बुधवार, 29 नवंबर 2017

एक त्रिभुज का परिकेंद्र

एक त्रिभुज का परिकेन्द्र

लक्ष्य:

यह दर्शाना कि एक त्रिभुज की भुजाओं के लम्ब समद्विभाजक एक बिन्दु पर (जिसे परिकेन्द्र कहा जाता है) संगामी होते हैं और वह बिन्दु एक न्यूनकोणीय त्रिभुज के अन्दर होता है, समकोणीय त्रिभुज के कर्ण पर तथा अधिककोणीय त्रिभुज के बाहर होता है।

 

परिकेन्द्र

परिभाषा

त्रिकोण का परिकेन्द्र उसके तीनों लम्ब समद्विभाजकों का परिच्छेद बिन्दु होता है। यह वहां होता है जहां “लम्ब समद्विभाजक” (वे रेखाएं जो प्रत्येक भुजा के मध्य बिन्दु से समकोण पर होती हैं) मिलते हैं। त्रिकोण का परिकेन्द्र शीर्ष बिन्दुओं से समदूरस्थ होता है तथा परिकेन्द्र के तीनों शीर्ष बिन्दुओं प्रत्येक से परिकेन्द्र की दूरी त्रिकोण की परि-त्रिज्या कहलाती है।

गुण

1) त्रिकोण के समस्त शीर्ष बिन्दु परिकेन्द्र से समदूरस्थ होते हैं।

2) परिकेन्द्र परिवृत्त का केन्द्र भी होता है।

3) न्यूनकोणीय त्रिभुज के लिए, वह त्रिभुज के अन्दर होता है (चित्र (a)) देखें।

4) अधिककोणीय त्रिभुज के लिए, वह त्रिभुज के बाहर होता है (चित्र (c)) देखें।

5) समकोणीय त्रिभुज के लिए, परिकेन्द्र कर्ण का मध्य-बिन्दु होता है (चित्र (b)) देखें।

                                   चित्र (a)       



                               चित्र (b)

 

                     चित्र (c)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें