गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

समांतर चतुर्भुज की विशेषताएं

समांतर चतुर्भुज की विशेषताए

उद्देश्य :

समचतुर्भुज के विकर्णों से संबंधित विशेषता में समानताओं और भिन्नताओं का पता लगाना। 

समांतर चतुर्भुज

परिभाषा

यह वह चतुर्भुज है जिसमें सम्मुख भुजाओं के दोनों युग्म समांतर होते हैं। चतुर्भुज ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।

                                   

विशेषताएं :

किसी समांतर चतुर्भुज का विकर्ण इसे दो सर्वांगसम त्रिभुजों में विभाजित करता है (▲ ADB सर्वांगसम ▲ ABC)।किसी समांतर चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।सम्मुख भुजाएं सर्वांगसम होती हैं (AB = DC)।सम्मुख कोण सर्वांगसम होते हैं (∠ADC= ∠ABC)।क्रमागत कोण पूरक होते हैं (∠DAB + ∠ADC = 180°)।यदि एक कोण समकोण हो तो, सभी कोण समकोण होते हैं।

                                  

वृत्त का क्षेत्रफल, area of circle

वृत्त का क्षेत्रफल
   
उद्देश्य :

उस सूत्र का सांकेतिक नमूना देना कि वृत्त का क्षेत्रफल उसके परिमाप व त्रिज्या के गुणनफल का आधा होता है।

सिद्धांत:

वृत्त:  वह एक तल में उन सभी बिन्दुओं का समूह होता है जो एक दिए गए बिन्दु, केन्द्र, से दी गई दूरी पर होते हैं।
नीचे काले रंग में परिधि (C), हरित नीले रंग में व्यास (D), लाल रंग में त्रिज्या, और गहरे गुलाबी रंग में केन्द्र (O) का एक वृत्त है:

 

 

संबंधित शब्दावलियां :

केन्द्र: वृत्त के अन्दर एक बिन्दु। वृत्त पर सभी बिन्दु केन्द्र बिन्दु से समान दूरी पर होते हैं।
त्रिज्या: त्रिज्या केन्द्र से वृत्त पर किसी भी बिन्दु की दूरी होती है। वह व्यास की आधी होती है।
चाप: वृत्त पर दो बिन्दुओं को जोड़ने वाला एक सरल रेखा का खंड।
व्यास: केन्द्र से गुज़रने वाली किसी भी चाप की लम्बाई। वह त्रिज्या की दोगुनी होती है।
परिधि: परिधि वृत्त का परिमाप होती है। वह  होती है।
क्षेत्रफल: वृत्त द्वारा घेरे गए क्षेत्र का क्षेत्रफल। वह   होता है।

वृत्त के गुण:

चाप के लम्बवत त्रिज्या चाप को समद्विभाजित करती है।  वृत्त का व्यास उसकी सबसे लम्बी चाप होती है।

त्रिभुज का अंतः केंद्र


त्रिभुज का अंत:केंद्र

उद्देश्य :

इस बात की व्याख्या करना कि किसी त्रिभुज के कोणों का अंत: समद्विभाजक एक ही बिंदु (जिसे अंत: केंद्र कहते हैं) पर मिलते हैं, जो हमेशा त्रिभुज के अंदर स्थित होता है।

संबंधित शब्दावलियां

अंत:केंद्र - त्रिभुज के अंत:केंद्र को त्रिभुज के अंत: कोण समद्विभाजक के प्रतिच्छेद बिंदु के रूप में परिभाषित किया जाता है। अंत: समद्विभाजक से हमारा अर्थ है किसी त्रिभुज के अंत: कोणों के कोण समद्विभाजक। चूंकि किसी त्रिभुज में तीन अंत: कोण होते हैं, इसलिए तीन अंत: समद्विभाजक अवश्य होंगे। सभी तीन अंत: समद्विभाजक का प्रतिच्छेद बिंदु वृत्त का अंत: केंद्र कहलाता है।अंत:वृत्त (अंतर्वृत्त) - ज्यामिति में, किसी त्रिबुज का अंत:वृत्त या अंतर्वृत्त त्रिभुज में निहित सबसे बड़ा वृत्त होता है; यह तीनों भुजाओं को स्पर्श (टेंजेंट होता है) करता है। अंत:वृत्त का केंद्र त्रिभुज का अंत:केंद्र कहलाता है।

 

            

विशेषताएं :

अंत:वृत्त त्रिभुज के तीनों कोण समद्विभाजकों के प्रतिच्छेद बिंदु द्वारा निर्मित त्रिभुज के संगमन बिंदुओं में से एक है।

ये तीन कोण समद्विभाजक हमेशा संगामी होते हैं और हमेशा त्रिभुज के अंत: भाग में मिलते हैं (ऑर्थोसेंटर के विपरीत जो अंत: भाग में प्रतिच्छेद कर सकते हैं या नहीं भी)। अंत:केंद्र अंत:वृत्त का केंद्र है। अंत:केंद्र त्रिभुज में स्थित एक बिंदु है जिससे भुजाओं की दूरी समान होती है।

यदि त्रिभुज अधिक कोण है तो अंत:केंद्र त्रिभुज के अंत: भाग में स्थित होता है।

यदि त्रिभुज न्यूनकोण है तो भी अंत:केंद्र त्रिभुज के अंत: भाग में स्थित होता है।

यदि त्रिभुज समकोण है तो भी अंत:केंद्र त्रिभुज के अंत: भाग में स्थित होता है।