शुक्रवार, 24 मार्च 2017

How to learn mathematics

1 गणित सीखने में समस्याएँ
‘गणितीय सदमा’ कुछ नाटकीय लगता है। हालांकि, शोध से पता चला है कि कुछ विद्यार्थी गणित का अध्ययन करते समय सचमुच तनाव महसूस करते हैं (लैंग और मीनी, 2011)। ये विद्यार्थी ऐसा महसूस करते और मानते हैं कि वे गणित सीखते समय स्वयं के लिए कुछ करने या सोचने में असमर्थ हैं। इस विचार को खारिज या अनदेखा करना और यह कहना आसान लग सकता है कि ‘शायद ये विद्यार्थी इसे समझ ही नहीं पाते हैं’, या ‘उन्हें ज्यादा कड़ी मेहनत और अभ्यास करना चाहिए’। लेकिन इस बात पर विश्वास करने के वास्तविक कारण हैं कि इस सदमे के कारण ही कुछ विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में गणित को समझ पाने और फिर उपयोग कर पाने में विफल रहते हैं, जिसका स्वयं उन पर और पूरे समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रभावित विद्यार्थियों पर गणितीय सदमे के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वे यह मानकर गणित को अपनाने से इंकार कर सकते हैं कि वे इसे कर पाने में सक्षम नहीं हैं और कभी भी सक्षम नहीं हो सकेंगे। विद्यार्थी खुद को तसल्ली देने वाली धारणाओं के चक्रव्यूह में उलझ सकते हैं, क्योंकि जब भी वे गणित के किसी क्षेत्र को नहीं समझ पाते हैं, तो वे तुरंत यह मान लेते हैं कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वे इस विषय को नहीं समझ सकते और कभी नहीं समझ सकेंगे। इसके कारण उनका खुद के प्रति विश्वास भी प्रभावित हो सकता है कि वे गणित के दूसरे क्षेत्रों में भी कुछ कर पाने में सक्षम हैं। वे ऐसा महसूस करने लगते हैं कि उनके पास कोई विकल्प या कोई नियंत्रण नहीं है।
गणित के जो पहलू गणितीय सदमे का कारण बन सकते हैं, उनमें से एक तो स्वयं गणित की भाषा ही है। सांकेतिक प्रदर्शन और गणितीय शब्दावली, दोनों को मौजूदा भाषा ज्ञान और संरचना से जोड़ना बहुत असंबद्ध और कठिन महसूस हो सकता है।
गतिविधि 1 का मकसद इस बारे में आपकी समस्या को हल करना है कि आपके विद्यार्थियों को गणितीय शब्दावली का अर्थ किस प्रकार समझाया जाए। इसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी अपना स्वयं का गणितीय शब्दकोश तैयार करें, जिसमें हो:
शब्द
औपचारिक व्याख्या
उनकी स्वयं की व्याख्या
शब्द के अर्थ का एक चित्र।
हालांकि इस मामले में यह पृष्ठ और आयतन के अध्याय में आने वाली शब्दावली से संबंधित है, लेकिन इस पद्धति का उपयोग गणित के पाठ्यक्रम के सभी विषयों के लिए किया जा सकता है।
गतिविधि 1 के भाग 2 में, विद्यार्थियों से भाग 1 की उनकी शिक्षा का प्रदर्शन करने को कहा जाता है। यह इस इकाई की अधिकांश गतिविधियों में दोहराया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी इस बारे में अधिक जागरुक बनें कि वे क्यों सीखते हैं और वे अपनी शिक्षा के प्रति अधिक सक्रिय बनें। इससे उन्हें अपनी शिक्षा में चयन और नियंत्रण का अहसास होगा।
इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। गतिविधियों को स्वयं करके देखने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा।
जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ इन गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित करने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
गतिविधि 1: अपने खुद का गणितीय शब्दकोश बनाना
विद्यार्थी ये गतिविधियाँ अकेले या जोड़ियों में कर सकते हैं। यह एक ऐसी गतिविधि भी हो सकती है, जिसे नए विषयों के साथ दोहराया जाता है और जो समय के साथ विकसित होती है। इसका उपयोग एक रिवीजन गतिविधि के रूप में भी किया जा सकता है। विद्यार्थी एक पृथक कॉपी में अपने खुद के शब्दकोश भी विकसित कर सकते हैं, या आप कक्षा का एक शब्दकोश विकसित कर सकते हैं। जिसमें विद्यार्थियों द्वारा प्रविष्टियाँ लिखने के बाद प्रदर्शित किया जाता है और समय के साथ उन पर पुनः काम किया जा सकता है।
भाग 1: शब्दकोश बनाना
अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे निम्नलिखित कार्य करने से पहले अपनी पाठ्यपुस्तक में क्षेत्रफल, आयतन और पृष्ठ वाला अध्याय देखें:
एक सारणी बनाएँ, जिसमें कम से कम चार स्तंभ हों। (सुनिश्चित कर लें कि विद्यार्थी अपनी सारणी का स्वरूप तय करने से पहले सभी निर्देश पढ़ लें।)
सभी अपरिचित या असामान्य शब्दों की पहचान करें, और उन्हें अपनी सारणी के पहले स्तंभ में लिखें; उदाहरण के लिए, ‘आयतन’, ‘क्षमता’, ‘पृष्ठ’, ‘शंकु’, ‘छिन्नक’, आदि।
दूसरे स्तंभ में अपनी समझ के अनुसार शब्द की व्याख्या लिखें। अभी ज़रूरी नहीं है कि यह पूर्ण हो, या पूरी तरह सही हो, क्योंकि आपकी समझ बढ़ने के साथ-साथ आप इसमें बदलाव करने में सक्षम होंगे।
तीसरे स्तंभ में, वह व्याख्या लिखें, जो इस शब्द के लिए पुस्तक में दी हुई है या आपके शिक्षक ने बताई है।
आखिरी स्तंभ में इस शब्द का जो अर्थ आपकी समझ में आता है, उसके अनुसार एक चित्र या आरेख बनाएँ। फिर एक बार, अभी ज़रूरी नहीं है कि यह पूर्ण हो, या पूरी तरह सही हो, क्योंकि आपकी समझ विकसित होने के साथ-साथ आप इसमें बदलाव करने में सक्षम होंगे।
भाग 2: अपने शिक्षण पर विचार करना
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि गतिविधि के इस भाग में उनसे अपनी शिक्षा के बारे में सोचने को कहा जाता है, ताकि वे गणित की शिक्षा में बेहतर बन सकें और इसके बारे में बेहतर महसूस करें।
इस गतिविधि के भाग 1 के बारे में आपको क्या आसान या मुश्किल लगा?
इस गतिविधि के बारे में आपको क्या पसंद आया?
इस गतिविधि से आपने क्या गणित सीखा?
आपने क्या सीखा कि गणित को आपने कैसे सीखा (सीख सकते हैं)?
केस स्टडी 1: श्रीमती चड्ढ़ा गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव बताती हैं
यह एक शिक्षिका की कहानी है , जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।
गणितीय सदमे के बारे में पढ़ने पर मेरे मन तुरंत ही उन बहुत सारे विद्यार्थियों का विचार आया, जो इसका अनुभव करते होंगे। मुझे यह भी स्वीकार करना है कि अभी तक मेरी भूमिका यही रही है कि कुछ विद्यार्थियों में यह ‘होता है’ और बाकियों में नहीं। शायद ऐसा इसलिए है, क्योंकि मुझे कभी गणित के मामले में इतना ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा - यही कारण है कि मैं गणितज्ञ और गणित शिक्षिका बनी। इसलिए यह गतिविधि शुरू करने से पहले, मैंने खुद से यह वादा किया कि मैं सचमुच इस बात की कोशिश करूँगी कि मैं विद्यार्थियों की उनके चयन में सहायता कर सकूं।
मुझे उम्मीद थी कि इस गतिविधि में विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए मुझे उन्हें आगे बढ़ाने में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन वे सभी अपनी किताबों में व्यस्त हो गए और शब्द ढूँढने लगे। ऐसा लग रहा था कि वे जानते थे कि ठीक-ठीक कहाँ ढूँढना है!
कुछ ही मिनटों बाद, मीना ने पूछा कि क्या उन्हें केवल वे ही पहचानने हैं, जिन्हें वे अच्छी तरह नहीं समझते। चूंकि मैं चाहती थी कि वे अपने लिए खुद चयन करें, इसलिए मैंने सुझाव दिया कि उन्हें जो सबसे सही लगे, वे लोग वैसा कर सकते हैं उन्होंने जिन शब्दों का चयन किया है, यदि वे लोग उसके बारे में विचार, धारणाएँ और वर्णन साझा करें, तो बहुत अच्छा होगा। विचारों को साझा करने के कारण रोचक गणितीय चर्चा भी हुई। इससे विद्यार्थियों की कुछ गलत धारणाओं का भी पता चला और उन पर एक अनौपचारिक तरीके से चर्चा करना संभव हुआ।
उदाहरण के लिए, हमने ‘आयतन’ शब्द के बारे में बहुत अच्छी बातचीत की: रोहित ने आयतन का वर्णन इस तरह किया कि इसे किसी आकृति के भीतर रखा जा सकता है; सोहन ने कहा कि आयतन वह होता है, जिससे मिलकर ठोस पदार्थ बने होते हैं; रीना ने कहा कि आयतन द्रव की वह मात्रा है, जो रखी जा सकती है। इसके बाद विद्यार्थियों के साथ उत्साहपूर्ण चर्चा हुई और वे अपने विचारों को साझा करने के इच्छुक थे तथा मैंने देखा कि उनके विचारों पर दूसरों के द्वारा की जाने वाली टिप्पणियों या अन्य वर्णनों के सुझावों से विद्यार्थी निराश नहीं लग रहे थे। इस प्रक्रिया में कई अवधारणाओं पर बात की गई और उन्हें स्पष्ट किया गया।
आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना
अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने पर बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे सवालों की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नजर आएं तथा जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करें, तब इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग करें। ध्यान दें कि जैसे श्रीमती चढढा ने कुछ बहुत छोटी–छोटी चीज़ें कीं, जिनसे काफी फर्क पड़ा।

विचार के लिए रुकें

पाठ के बाद इन प्रश्नों पर विचार करें:
आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
इस गतिविधि से आपको विषय की विद्यार्थियों की समझ के मूल्यांकन में किस प्रकार मदद मिली?
किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?